Tuesday, February 11, 2014

दर्शन (फिलोसफी)

दर्शन के बिना ज्ञान संभव नहीं  


भ्राँतियों को मिटाना होगा
भगवान महावीर ने सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र को मोक्ष का मार्ग बताया है। दर्शन के बिना ज्ञान नहीं होगा ज्ञान के बिना चारित्र नहीं होगा। लेकिन हम मात्र चारित्र को महत्व दे रहे हैं। मोक्ष मार्ग की साधना में यदि सम्यक दर्शन होगा तो चारित्र श्रृंगार बन जाएगा। 
हर मनुष्य वर्षों से धर्म साधना कर रहे हैं, लेकिन उनके जीवन में परिवर्तन नहीं आता है। कषाय कू्रता कम होने की बजाय बढ़ रही है। जैन धर्म में प्रत्येक कार्य को विवेक से करने की शिक्षा दी गई है। 
हमें धर्म पर श्रद्धा रखनी चाहिए। धर्म सदा ही मैत्री की भाषा सिखाता है। समता जैन पद्धति का आधार है। मानव मोह माया को छो़ड़े बिना जिन शासन को प्राप्त नहीं कर सकता। धर्म को आचरण में लाकर अपना जीवन सुखी बना सकता है। हमारा जीवन अनुकूलताओं-प्रतिकूलताओं का संगम है। 
मनुष्य को जीवन मिला है सुंदर जीवन का निर्माण करने के लिए कि धन संपत्ति एवं वैभव के लिए। जीवन में नई क्रांति लाने के लिए भ्राँतियों को मिटाना होगा। जीवन का उत्थान एवं पतन दोनों अपने हाथों में है।
इसमें स्वाध्याय साधना का प्रमुख अंग है। आगम वाणी में मोक्ष प्राप्ति के जिन 7 मार्गों का वर्णन किया गया है। उनमें स्वाध्याय एक प्रमुख मार्ग है। यह पर्व राग से विराग और विराग से वीतराग बनने का संदेश लेकर हमारे द्वार पर आया है। हमें अध्यात्म भावों से इसका स्वागत करना चाहिए।




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